ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
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*चक्रों की जांच के 2 आधार*


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1⃣ जन्मकालिक स्थिति
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जाने अपने 7 चक्रों की जन्मकालिक अवस्था और बल को
*चक्र की अवस्थाएं -* यह 3 प्रकार की होती हैं - 1. सुप्त , जाग्रत, और सुसुप्त
चक्रों के बल -* यह चार प्रकार के हैं -




*चक्रों का ऊर्जा गुण -* यह तीन प्रकार के है -
1⃣नकारात्मक,
2⃣ सम,
3⃣सकारात्मक



*कैसे ज्ञात करें -* इसके लिए जन्म तिथि और समय की सही जानकारी होना आवश्यक है । जन्म तिथि और समय के सही जानकारी के द्वारा वैदिक गणित की कुछ विधि द्वारा चक्रों की शक्ति और अवस्था का ज्ञान किया जाता है ।
*क्यों ज्ञात करें -* जीवन में सफलता को प्राप्त करने के लिए अनेक बाधाओं से गुजरना पड़ता है और इसके लिए जीवन में स्थिरता ,अर्जन, सही ज्ञान और विवेक, सौभाग्य, समृद्धि, नियंत्रण और आध्यात्मिक ऊर्जा का होना बहुत ही आवश्यक
है । यदि आपको ज्ञात हो जाए जन्म के समय किस प्रकार की ऊर्जाओं की कमी है और उनकी पूर्ति के लिए किस चक्र पर सही तरीके से विधियों के द्वारा व्यवहार के द्वारा और विचारों के द्वारा सुप्त चक्रों को जागृत किया जा सके सही शक्ति दी जा सके जिससे जीवन में आने वाली बाधाएं सहज रुप से समाप्त हो और मार्ग सफलता के प्रति सहज हो सके इसलिए जन्मकालीन सात चक्रों का ज्ञान आवश्यक हैं ।
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2⃣वर्तमान कालिक स्थिति-*

वर्तमान कालिक चक्र को जानने के लिए कई विधियां हैं किंतु हम यहां दो मुख्य विधियों द्वारा चक्रों की स्थिति को जानते हैं -


*निष्कर्ष-* हमारे सामने अभी जितने भी केस आ रहे हैं आश्चर्य की बात है कि जन्म काल में जो चक्र जाग्रता हैं, वही वर्तमान स्थिति में भी एकदम अच्छी स्थिति में पाए जाते हैं और जो सुप्तावस्था में हैं उन्हीं चक्रों के विषयों के प्रति व्यक्ति के जीवन में कार्यों का अटकाव दिखाई देता है ।
आश्चर्यजनक दूसरी बात यह भी है कि चक्रों की स्थिति जानने के बाद सही रूप में व्यक्ति को यदि सही विधि बताई गई तो उन विधियों कर अनुसार अनुकरण करने पर लगभग 2 से 3 महीने में ही व्यक्ति के जीवन में शत-प्रतिशत समाधान या सफलता पाई गई ।












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